Tuesday 17 December 2013

बहुत देखा इस जमाने को बदलते यारों 

आज क्यूँ ना जमाने को हीं बदल जाएँ

राहें बहुत देखी चलते चलते हमने यारों 

आज क्यूँ ना खुद का एक राह बनाएँ 

कब तक रहें तक़दीर के भरोसे यारों

आज अपना खुदा हीं ना क्यूँ बदल जाएँ

बस एक गलती करना बाकी है इस बेरहम दुनिया में

गुनाह अपने खुदा को भी कबूल हो जाए ये दुआ मेरी

तुझको पा लेना कहना कुछ छोटी बात इस दुनिया में

अपने आगोश में मरने की इजाज़त दे ऐ रूह तू मेरी 
तुम्हारी मोहब्बत को बस याद करते हैँ

भुलने के अंदाज तुमने सिखाये हीँ नहीँ


तुम्हारी हर अदा पर आज भी मरते हैँ


मरने का तरीका तुमने बताया हीँ नहीँ
कौन सा दर्द छुपाना चाहते हो मुझसे 

क्या दिल मेँ छुपाना चाहते हो मुझसे


आसमान तेरा मैँ , जमीन भी तेरा मैँ


कितना दूर जाना चाहते हो मुझसे

Monday 16 December 2013

काली स्याही मेरे दिल का अँधेरा है

तुम्हारे दिल के पन्ने मिल जाएं बस 

ज़िंदगी की शायरी पूरी हो जाए बस 

तुम बिन ये शायर अभी अधूरा  है  
जाने क्यूँ वो शाम से कुछ खफा सा है 

नींद आती आसमान को चाँद खफा  सा  है