मुमकिन है मैं शायद तेरा ना हो पाउँगा
मुमकिन है तुम संग गीत ना गा पाउँगा
बहुत मुश्किल लगती है मोहब्बत की राह
लगता है मुझे , मैं तुझमें हीं समा जाऊंगा
तुझको कोई सहारा शायद ना दे पाउँगा
दुनिया की हर रश्मों को ना निभा पाउँगा
बहुत मुश्किल लगता है अपना मिलना
लगता है मुझे , मैं तुझमें हीं मिल जाऊंगा
....................रविश चंद्र "भारद्वाज"
मुमकिन है तुम संग गीत ना गा पाउँगा
बहुत मुश्किल लगती है मोहब्बत की राह
लगता है मुझे , मैं तुझमें हीं समा जाऊंगा
तुझको कोई सहारा शायद ना दे पाउँगा
दुनिया की हर रश्मों को ना निभा पाउँगा
बहुत मुश्किल लगता है अपना मिलना
लगता है मुझे , मैं तुझमें हीं मिल जाऊंगा
....................रविश चंद्र "भारद्वाज"