रविश चंद्र "भारद्वाज"
Friday 17 January 2014
Here is my first novel for my dearest readers.
Hope,you all will like it.
http://pothi.com/pothi/book/ravish-chandra-my-failed-love-stories
Thursday 16 January 2014
तड़पते हुये उठा कल पर तुम ना आये
रोता हुआ बिता कल पर तुम ना आये
अकेला रहा दिल कल पर तुम ना आये
चेहरे कई खिले कल पर तुम ना आये
रोशन जहाँ था कल पर तुम ना आये
आँखेँ थक गयी कल पर तुम ना आये
शरीर मरा
दिय मरा
मेरी रुह मरी
पर तुम ना आये
पर तुम ना आये
Monday 13 January 2014
खामोशियाँ तुम्हारी कानोँ मेँ जाने क्या बयान कर जाती हैँ
हम मर जाते हैँ जान तुम्हारी अदाऐँ यूँ साँस लिये जाती हैँ
लफ्जोँ के तार बुनते हो जुल्फोँ की छाँव मेँ कुछ इस कदर तुम
बड़ी खामोशी से रुह अपनी तुम्हारे होठोँ को चुम जाती हैँ
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