Saturday 30 November 2013

दिमाग का बुखार साँसोँ मेँ घुलता हुआ दिल मेँ उतर गया

एक खुबसूरत चेहरा देखते देखते बस से उतर गया;-)
क्या जहान है तेरा रवीश 

चेहरे खुलेआम पर असली सा कोई नहीँ दिखता


मोहब्बत सबको है तड़पता कोई नहीँ दिखता


उठी सब दुनिया पर जगा सा कोई नहीँ दिखता


साथ सब नजरोँ मेँ उतरता कोई नहीँ दिखता

Friday 29 November 2013

रात भर नीँद टूटती रही मेरी
चादर समेटता रहा पैरोँ तले
सोच को लकवा सा मार गया
चाँद खिड़की से झाँकता गया
तारे टूटते गिरते आसमान से
जमीन खिसकती रही हाथोँ से
दिल खाली खाली सा हो गया

..............................
आँखोँ मेँ इंतजार एक सुबह का
चाँद गायब सा होने था लगा
सूरज चढता आसमाँ मेँ देखा
किरणेँ छन गयी खिड़की से
आलसी दिल को उर्जा दे गयी
हाथोँ मेँ आ गया चाय का कप
चाय की खूशबु साँसोँ मेँ घुली
रिश्ते तो तारोँ जैसे टूट गये
मन का रवीश जग गया

Thursday 28 November 2013

खुदा तेरे शहर मेँ रहने के लिये जगह नहीँ मिली
हम अब तेरे हीँ शहर मेँ छतोँ के दलाल बन गये हैँ



 
 





बहुत चाह थी किसी के इश्क मेँ डूब जाने की खुदा
हम अब तेरे हीँ जहान मेँ रिश्तोँ के दलाल बन गये हैँ
दुनिया के भीड़ मेँ तू तन्हा अकेला
एक तू अकेला एक तेरा दिल अकेला
मिलने आया तू दुनिया से अकेला
जाएगा भी तू इस दुनिया से अकेला
क्यूँ किसके लिये कहाँ ये राज छुपा रखा है
कब तलक यूँ बेटी का कातिल राज रखा है
इस दुनिया मेँ खुद को कातिल बना रखा है
जग कानून की खरीद का मन बना रखा है
अपने बगिया के फूल का खुन छुपा रखा है
पछतावे मेँ जीने का खुद मन बना रखा है..........................................
एक तू बेवफा एक तेरी अदा मेँ बेवफाई
एक तू जुदा एक तेरे वो जाने मेँ जुदाई
दिल आराम से अकेले मेँ चैन से टूटा रहा था
जाने मेरा नाम लेके ये किसने आवाज लगायी

Tuesday 26 November 2013

अजीब सी थकान है दिल मेँ मेरे

बेरुखी सी दुनिया है आसपास मेरे


गीत से संगीत कुछ खफा है मेरे


जी करता सो जाऊँ रात भर के लिये


सितारे टूट गये है आसमाँ से मेरे
क्या शहर बनाया तूने सुन खुदा के बंदे

कुत्तोँ को भी यहाँ पनाह नहीँ मिलती 


हर पल कुचला जाता यहाँ एक कुत्ता


गाड़ियोँ की भीड़ से घबराया हर कुत्ता


तेरे घर के सीढियोँ मेँ छिपा हर कुत्ता


पार्क जाकर राहत की साँस लेता कुत्ता


कुचला गया मेरे पैरोँ तले एक कुत्ता


किस्मत अपनी जगा गया वो एक कुत्ता

मैँने गाड़ी मेँ बैठाया डरा सा वो कुत्ता


अब मेरे घर पर रहता है वो कुत्ता


दूध बिस्कुट खाता रोज है वो कुत्ता


ठाठ से मेरे संग टीवी देखता कुत्ता


सोचता हूँ देख के वो मेरा पालतू कत्ता


आँखो से वही सवाल पुछता वो कुत्ता....



क्या शहर बनाया तूने सुन खुदा के बंदे


कुत्तोँ को भी यहाँ पनाह नहीँ मिलती 

Monday 25 November 2013

सारा जमाना सो जाता है 
पर तुम क्यूँ नहीं सोते
जन्मो से देख रही इन 
पलकों को बिना झपके
माँ की लोरी तुम्हे सुलाती थी 
जब तुम नींद के लिए रोते
जवानी में फिर क्या हुआ 
कभी देखा नहीं सोते

जिसने स्वाभिमान को कुचला वो भी हैं सोते
जिसने प्यार में धोखा दिया वो भी हैं सोते
जिसने तुम पर ऊँगली उठाई वो भी हैं सोते
जिसने तुम्हारी पहचान चुराई वो भी हैं सोते

फिर क्यूँ हो सिर्फ तुम जागते
बैचैन हैरान थोडा परेशान होते 
आओ तुम्हे नींद के आगोश में भर दूँ 
आखें तुम्हारी थक गयी हैं 
उन्हें थोडा आराम कर दूँ 
गोद में मेरे सर रख कर 
जब तुम पलकों को झुकाओगे
सदियों कि नींद कि प्यास से राहत पाओगे

जीने की तमन्ना है तो मर मर के मत जी 

उठ हाथ फैला सूरज को पकड़ माथे लगा

मन में लिए उमंग उठा कर कलम हाँथ में 

बदल डाल रोती हुई किस्मत को 

बदल डाल हर आँसू को मोटी बना

नहीं अब सुख के पल दूर हाथ बढ़ा 

और कलम उठा नासूर कि स्याही से 

शब्दों के जाल बना ज़माने को दिखा

लटका हुआ है दिल मेरा तुम्हारी कान के झुमके से

होंठों से लगा लो तो ज़रा आखों से जुल्फें हटा लूँ

मर जाएंगे जिस दिन आप पनाहो में बुलाओगे

झुमके को चूमा जिस पल दिल में उतर जाओगे

आँखें बंद किये हमारी प्यास बुझेगी बरसों की 

पूरी कायनात होगी गवाह आत्माओं को मिलन की


वक्त तुझसे एक छोटी सी गुजारिश है

थोड़ा सा वक्त मिल जाये ये ख्वाहिश है


दुनिया मेँ लगी जो ये तेरी नुमाइश है


अपना तमाशा भी देख लूँ ये ख्वाहिश है
बेदर्द दुनिया मेँ अक्सर रस्मोँ रिवाजोँ को निभते देखा है

तेरी डोली उठते देखा था कल मेरी जान फूलोँ की


आज अपने जनाजे को उन्हीँ फूलोँ से सजते देखा है
दिल को बहुत रगड़ा खैनी मेँ चुने की तरह हमने

बेपनाह मोहब्बत एक बीड़ी के फूँक मेँ फना हुयी


थर्रा की बोतल पे नजर मत डाल ऐ जालिम सुन


वो तो मौत के पहले गंगाजल की जगह रखा है
गोल गोल गप्पे सजे थे ठेल

गोल गोल गाल पहुँचे ठेल 

एक ने बढाया अपना हाथ

कमल फूल लगाए बालोँ मेँ

झाडू लिये अपने हाथ मेँ

हाथी सा था बदन उनका

साईकिल पर बच्चे साथ

लालटेन जल रहा तेल का

सबके पास मुद्दे हीँ मुद्दे थे
गोल गप्पे सारे थे हैरान
थामे रखना हाथोँ को जब तक ये रात गुजर जाये

पनाह दिल को मिले जब तक ये रात गुजर जाये


सुबह हमारी जरुर होगी बस ये रात गुजर जाये
Imtihaan mohabbat ka suru hone ko hai, 

intezaar bas ab apni subah tak hone ko hai, 


sochta hun sapne mein unse guftugu karun, 


ruk jaten hein lafz jab thaka chehra dekhkun
रिश्तोँ का अजीब सा जंजाल है

प्यार का अजीब सा मलाल है


हर मोड़ पर ये दिल हलाल है


खुदा तू बता तेरा क्या हाल है


मेरे जैसा क्या तेरा भी हाल है