किसका सब्र करेँ अब किसकी खैर मनायेँ
जमीर बिक रहा सरेआम बाजार मेँ
खुशियाँ दहलीज पे आते अब शरमायेँ
चंद सिक्कोँ से क्या बच्चोँ को खिलायेँ
बिकते बेटे तेरे कोड़ियोँ की भाव मेँ
खून के रिश्ते हम अब कैसे निभायेँ
हार कर लौट माँ तेरे चरण मेँ हीँ आयेँ
दे आशीष अपने भटके हुये बच्चोँ को
शायद हम भी आजाद भगत कहलायेँ
तुझसे हैँ जन्मेँ तुझमेँ ही मिल जायेँ
जमीर बिक रहा सरेआम बाजार मेँ
खुशियाँ दहलीज पे आते अब शरमायेँ
चंद सिक्कोँ से क्या बच्चोँ को खिलायेँ
बिकते बेटे तेरे कोड़ियोँ की भाव मेँ
खून के रिश्ते हम अब कैसे निभायेँ
हार कर लौट माँ तेरे चरण मेँ हीँ आयेँ
दे आशीष अपने भटके हुये बच्चोँ को
शायद हम भी आजाद भगत कहलायेँ
तुझसे हैँ जन्मेँ तुझमेँ ही मिल जायेँ