क्यूँ मन मेरा वापस जाने को उतावला है
अपने बचपन की ओर खिँचा चला जा रहा है
कुछ तो छूटा है उस बचपन मेँ उसका
आज मेरी ना सुनता नजर आ रहा है
कोई तो है जो आवाज देकर बुला रहा है
कुछ अधूरा ख्वाब पूरा करने जा रहा है
अब वो भी हार गया अपना दिल अपना
शायद अपनी जीत की ओर बढा जा रहा है
विश्वास अचल उसका हुआ जा रहा है
मेरा मन तुम्हारे मन से मिलने आ रहा है