Friday 14 March 2014

हर बात तेरी मंजूर है बस मेरी तकदीर बन जा
खुदाई मिले ना मिले उसकी एक तस्वीर बन जा
जुदा जुदा तेरी मेरी राहें हीं सही
इंतज़ार तो तुम्हें भी होगा ना
अपनी मंजिल का ?

तो आ जाना किसी दिन मेरे साथ
बैठ जाना मेरे संग साँसों की गाडी में
चल पड़ेंगे तेरी मंजिल की ओर
अपनी मंजिल मान के ....................
Kabhi kabhi tumhari baat dukh de jaati hai
Kabhi kabhi tumhari baat sukh de jaati hai
Kabhi kabhi tumhari baat sukun de jaati hai
Kabhi kabhi tumhari baat tadap de jaati hai
Kabhi kabhi tumhari baat hansaa jaati hai
Kabhi kabhi tumhari baat bas rulaa jaati hai
Kabhi kabhi tumhari baat sulaa jaati hai
Kabhi kabhi tumhari baat jaga ja jaati hai
tumhari baat ho sirf tumhari baat
meri baat mein ghulti tumhari baat
harpal ab hoti hai bas tumhari baat
mere astitva mein hai ab tumhari baat
meri baat mein bas tumhari baat
meri baat mein bas tumhari baat
उस ख्याल को मिटा के रख दूँगा
जो मुझे तुम्हेँ ख्याल से दूर करे ।
उस सोच को मिटा के रख दूँगा
जो मुझे तुम्हेँ सोचने से दूर करे ।
तुम ये ना समझना कि मैँ क्रोध मेँ हूँ ,
बस ये समझना कि खुद से लड़ रहा हूँ एक लड़ाई
जो तुम्हारे संग रहकर जीतनी है ।
दुनिया के दिये दर्द का हिसाब चुकाना है ।
आँखेँ सबकी उँची करनी है , कुछ ऐसा मुकाम पाना है ।

~ रविश चन्द्र ' भारद्वाज'
कहते हो जब जाने को हम चले जाते हैँ
थोड़ा तुम दिल को भी समझाया करो
हम भी दिल को समझाये जाते हैँ
आइना देखना तब से बंद कर दिया हमने

जब से उनसे हमारी नज़र मिल गयी

खुद की खबर नहीं ली जाने कब से हमने

जब से उनसे हमारी खबर मिल गयी
ख्वाब जो देखा अब तक जाने कब पूरा हो
अधुरा है हर एक रिश्ता जाने कब पूरा हो
बाकी का जो हिसाब है जाने कब पूरा हो
जिंदगी काट रहे सब है जाने कब पूरा हो
उनको शिकायत है की हमे तो उनका हाथ थामने भी ना आया

हमे ख़ुशी है कि उनको हमारी पहली छुअन आज भी याद है
हाथ बढ़ाया तो हाथ पकड़ लिया
दिल धड़का तो दिल चुरा लिया
जानें क्या हुआ मुझसे मिल कर
ना चाहते हुए भी अपना बना लिया
कुछ इस कदर उलझे लोग जिँदगी की कश्मकश मेँ
याद नहीँ कब मोहब्बत हुई कब ठुकराये गये
पहले प्यार की क्या दुहाई देते हो इस जहान को
कुछ लोग यहाँ आखिरी मेँ भी जब ठुकराये गये
सूरज लटका पेड़ोँ मेँ
हवाएँ उसको हिलाती ।
आँखोँ को धोखा सही
सुबह हो हीँ जाती ।।
उसने साथ निभाने की अपनी जो शर्तेँ रखी आज
उन शर्तोँ को हमने कब का ख्वाब बना डाला
पल भर प्यार के मोहताज रिश्तोँ को हमने बिखरते देखा है
आज उन्हीँ रिश्तोँ को सिक्कोँ की खनखन पे हँसते देखा है
तुम कहते थे जिनको मेरा ना हो सकता है वो कभी टुकड़ा
उसी टुकड़े को आज हमने खुद से जुड़ते देखा है
तुम्हारे बिना मेरा इश्क क्या
हकीकत तुम तो ख्वाब क्या
मिलते हुये मिल जाना टूटकर
बस फिर देखो ये प्यास क्या
इतना ख्याल रखते हो कि अपना ख्याल हीँ भुल जाता हूँ
जो पुछते हो हर घड़ी तुम मेरा हाल
तो मैँ अपना हाल भुल जाता हूँ
कहता हूँ जब प्यार है तुमसे सिर्फ तुमसे
तो जाने मैँ क्या हो जाता हूँ
अब क्या मागूँ खुदा से कुछ समझ नहीँ आता मुझे
तो सिर्फ तुमको हीँ माँग जाता हूँ
शायद अभी कुछ और करना बाकी है
शायद अभी कुछ और चाहना बाकी है
इंतजार उन पलोँ का आज भी हैँ जवान
जिनको अभी भरपूर जीना बाकी है
तुम्हारे संग जिँदगी बिताना बाकी है
हर खुशी तुम्हारी आँखोँ मेँ देखना बाकी है
हार कैसे जाऊँ जरा ये तो बताओ मेरे मन
रविश की सुबह अभी होना बाकी है
थोड़ा वक्त उसने निकाला
थोड़ा वक्त हमने निकाला
कुछ पलोँ के इंतजार मेँ
हमने साथ उमर निकाल दी