Friday 6 December 2013

तुम्हारे दिये दुख को तकिये के नीचे रख सोता हूँ

आँसूओँ से चादर को भीगो कर के ओढ सोता हूँ


साँसोँ को पंखे से लटका कर के सोता हूँ


अपनी सुबह जाने कब आएगी 


दुख का कर्ज चुकाने के सपनोँ के साथ सोता हूँ

Thursday 5 December 2013

बहुत खुबसूरत हो तुम आ जाओ नजर 

तो जन्नत की दुआ कबूल करे खुदा 

देख लो एक नजर भर के बाँहोँ मेँ 

तो काफिर बनना हमेँ माफ करे खुदा
बड़े प्यार से पाला था गले लगा के गम मेरे

अब तू भी गम दे गया क्यूँ तू उसका हो गया
चलो कुछ नया करेँ
विक्षिप्त सा वो मेरा आकाश

निराश रोते मेरे वो तारे


मुरझा गया वो मेरा चाँद


खो गयी वो तेरी मेरी रात


सुबह का सूरज भी बेचैन


किरणेँ गिरती धरती पर


छाये खोते बाग के पेँड़


जलती झुलसती ये धरती



शायद कुछ बात है

छुटता कोई हाथ है

Wednesday 4 December 2013

हर शाम गुजरती है मयखाने मेँ हमारी
हर शाम ठहरती है इंतजार मेँ तुम्हारी
पीला देतेँ हैँ दोस्त तेरी कसम देकर
साकी तू बन तो कोई बात बने हमारी

Tuesday 3 December 2013

कुत्ता भिखारी का

भिखारी भीख का

देनेवाला सौदे का

सौदे वाले सैलरी का

सैलरी वाले मुनाफे का

मुनाफे वाले बिक्री का

बिक्रीवाले सरकार का

सरकार भिखारी का


इंतज़ार या योजना 
उसने कहा है वो कल से हमेँ टूट कर चाहेगा

डरता हूँ कल तक उनका नशा ना उतर जाए


नशा उतर जाए तो भी कोई बात नहीं

आरज़ू दिल कि पूरी हो जाएंगी


उनकी जुल्फों तले बस जान  निकल जाए

Monday 2 December 2013

इंतज़ार

कोई  मुझे  बताये
मुझे  किसका  इंतज़ार  है 
जिससे  मिलने  को  मन  बेक़रार  है 

इंतज़ार  कल  भी  था  आज  भी  है
आँखों  में  चूभन  कल  भी  थी  आज  भी  है 

क्योँ  खत्म  नहीं  होता  यह  इंतज़ार 
सुबह  से  शाम  का 
और  शाम  से  सुबह  के  होने  का  इंतज़ार 

लेकिन  इस  इंतज़ार  में  भी 
है  एक  नई  उम्मीद  सी  छाई 
उम्मीद  के  साथ 
चिंता  की  नई  लकीर  भी  गहराई

इन  चिंता  की  लकीर  में 
कोई  मुझे  बताये
मुझे  किसका  इंतज़ार  है
जिससे  मिलने  को  मन  बेक़रार  है

लेकिन  इस  इंतज़ार  में  भी 
है  एक  नई  ख़ुशी  सी  छाई 
ख़ुशी …ऱात  की  काली  चादर  के  उड़ने  की 
और  सुबह  की  नरम  धुप  की  चादर  के  बिछ  जाने  की 

इन  चादरों  के बदलने  में 
कोई  मुझे  बताये
मुझे  किसका  इंतज़ार  है 
जिससे  मिलने  को  मन  बेक़रार  है 

तक़दीर बनाने वाले सुन ले जरा जाते  हुए

जिगर का हौसला भी तेरे रहमो करम से है 
बयान  क्या  करे  दिल  में  छिपे  गम  का 

खुद  भी  परेशान  अपना  हमसे  हो  गया 

सोच  इश्क़  में  टूट  कर  शायद  में  रोऊँ 

यहाँ  हर  दिन  बंदा  जवान  होता  गया 
अपनी मोहब्बत लुट जाने का इंतजार नहीँ करते

दिल के टूट के बिखर जाने का इंतजार नहीँ करते


तुफान भी आता है समुंदर को कह कर यारोँ


रेत से बने घरोँ के बचने का इंतजार नहीँ करते

Sunday 1 December 2013

वादा बखूबी निभाया उन्होनेँ
अश्क नहीँ बहने दिया उन्होनेँ
दिल को रुलाने का सोच रहे 

पलकोँ पे बिठाया जिन्हेँ हमने
इजाजत मिलेगी तो हम सो जाऐँगे
सपनोँ मेँ मुलाकात हम कर जाऐँगे
आँखोँ को इंतजार उनके दीदार का
मिल गये तो सपने अपने हो जाऐँगे
 
सर्दी की सुबह अलसाई सी
चाय की खुशबू बौराई सी
कप करते आपस मेँ बातेँ
माली चला आता बगीचे मेँ
थैली मेँ छोटी थैली डालती
राशन का लिस्ट गुनगुनाती
पूजा के फूल बटोरटी माँ
रंगीन परदे पे नाचती रंगोली
स्कूटर को चमकाते पापा
काश वो बचपन लौट आए
एक वो sunday फिर आए