Saturday 26 October 2013

सादे सफेद कुरते
कंधे पे साफा
चमचमाती गाड़ी
हाथ मेँ मोबाइल
चार चमचे आगे
चार चमचे पीछे
साथ मेँ राइफल
लटकाए दो गार्ड
हमारे नेता
हमारी गली
धन्य हो गयी
वादोँ से भरे
मायूस चेहरे को
दिलासा मिला
वादा मिला
राशन सस्ता
ईंधन सस्ता
बच्चोँ की फीस
पूरी माफ
कमाई के लिए
नये नये स्रोत
किराये मेँ कटौती
सारे लोन माफ

बस एक सवाल
रह गया दिल मेँ
पाँच साल पहले
कौन गुंडा आया
हमारी गली मेँ
जिसने लूट ली
हमारी नीँद
हमारा चैन
हमारी आजादी

Friday 25 October 2013

आँसू रखो सम्भाल के दोस्त 
इनमेँ गम का आशियाना होता है
कोई मिल जाएगा राह चलते
बिन ठिकाने भी कोई दिल होता है

Thursday 24 October 2013

नीँद आ रही है
शायद थक गया हुँ
चाय ना मिली शाम वाली
बिते रात आराम ना मिला
आफिस मेँ भी मन ना लगा
काम कुछ बेवफा सा लगा

तनख्वाह दस रुपये बढी
मंहगाई बीस रुपये बढी
स्कुल फीस तीस रुपये बढी

माँ के पेट की दवाई लानी है
बहन की शादी करवानी है
भाई का दाखिला बाकी है
पिता की पेँशन छुड़वानी है

सालोँ बित गये आजादी के
चुनाव पे चुनाव निपट गये
गाँव तक रोड ना बन पाया
मकान पक्का ना हो पाया
एक पंखा तक चल ना पाया

नीँद भाग गयी
सुबह हो गयी
आफिस टाइम
अपना टाइम कब आएगा

Wednesday 23 October 2013

Aankhen tumhari thodi num ho gaeen, 
aankhen tumhari mujhse sawal kar gaeen,
aankhen tumhari mere dil ko rula gaeen, 
aankhen tumhari sailaab sa laa gaeen, 
aankhen ek pal khushi talaash gaeen, 
aankhen tumhari aaj ek kasam dila gaeen, 

aankhen tumhari aaj humari ho gaeen, 


aankhen meri ek bharosa dila gaeen, 

aankhen meri muskura gaeen, 
aankhen meri ek sapna dikha gaee, 
aankhen meri aaj piya se mil gaeen, 
aankhen meri mujhe suhagan banaa gaeen, 
aankhen meri ghoonghat mein sharma gaeen, 
aankhen meri mathe bindi laga gaeen, 
aankhen meri maa se vida ho gaeen, 
aankhen meri mujhe dulhan, maa, bahu, piya ki sakhi banaa gaeen, 

aankhen tumhari aaj humari ho gaeen.

Tuesday 22 October 2013

इश्क करना बस आया नहीं मुझे
खुद जलना बस आया नहीं मुझे
वो कहते थे मर जाएँगे मेरे बिन
जीना संग बस आया नहीं उन्हें

Monday 21 October 2013

Naa waqt ki, 
naa mijaaz ki, 
naa rashm ki, 
naa riwaaz ki, 
naa dard ki, 
naa ilaaz ki, 
mohabbat mohtaaz hai, 
tere ek didaar ki
हमारी मोहब्बत को अपनी जागीर समझ बैठे हो

फिर खुदा से साँस क्यूं उधार ले बैठे हो
सोए हुए चैन से कब्र मेँ
जाने किसने पता बता दिया
सारी बिजली सड़क पे गिर गयी
सारा कफन जला दिया
कुछ तो बात थी उनमेँ
चले तो क्राँति हो गयी
बैठे तो जयकार
बोले तो शान्ति हो गयी
चुप तो हाहाकार
डंडे का लिया सहारा
बंदूक भी भयभीत
सोचा कई बार मैँने
क्या बात थी उनमेँ
आसमान मेँ उड़ने की थोड़ी हिम्मत करोँ यारोँ
जमीन पे तो कायरोँ को भी पनाह मिल जाती है
जिन्दगी को जीओ थोड़ा जिँदादिली से यारोँ
कब्र मेँ तो मुर्दो को भी जगह मिल जाती है
आज नीँद नहीँ आती क्यूँ हमेँ
वो भी शायद अभी सोए नहीँ
ख्वाब तो अभी बहुत दूर हैँ
हम जी भर के खोये भी नहीँ
अपना आशियाना खुद लटते देखा है
हर साहिल पे खुद को डुबते देखा है
तुम बात करती हो जान खुशनसीबी की
हमने तबाही का नसीब बनते देखा है

उम्मीद ना थी दिल को तुम मिल जाओगे
हमने वफाओँ को निलाम होते देखा है
फिर भी जाने क्यूँ तुझमेँ वो इरादा देखा है
अपनी रुह को फिर से आज मुस्कुराता देखा है
आँसूओँ को उनकी आँखोँ की पनाह मिली

मेरे अवारा दर्द को दिल मेँ मकान मिला

नजर उनकी नजर से जब जब मिली

दिल उनके दिल से जब जब मिला
आँसूओँ को उनकी आँखोँ की पनाह मिली
मेरे अवारा दर्द को दिल मेँ मकान मिला
नजर उनकी नजर से जब जब मिली
दिल उनके दिल से जब जब मिला
प्यार करने तो आता नहीँ धमकी से क्या उखाड़ लोगी
खुद तो डुबी हो मस्ती मेँ
हमको तुम कैसे सुधार लोगी
तेरे दिए हर दर्द को दिल मेँ बसाता चला गया
रोते तड़पते दिल को शायर बनाता चला गया
अपने दर्द की दास्ताँ को शेर बनाता चला गया
तेरे हीँ गली मेँ महफिल जमीँ जालिम बेवफा
तेरे हीँ शहर मेँ सबको सुनाता चला गया

DEDICATED TO OUR SCHOOL PRINCIPAL SUDHIR MODAVAL SIR

खड़े जब हों आप प्रेयर ग्राउंड में सर खुद अपना ऊँचा हो जाता था

देखकर आपको बस मन सबका आप जैसा होने को हो जाता था

आपके ऑफिस में आने के पहले की जाती थी सारी तयारी

पर जाने क्यूँ आपको देखतें हीं दिमाग सब कुछ भूल जाता था

आपके राउंड की खबर से बच्चा दिल बड़ा हीं घबरा जाता था

स्कूल बैग से किताब खुद निकल कर डेस्क पे आ जाता था

आज आपका हाथ छूट गया है हम बच्चों को रोना बस आता है

पर आपकी छवि को भाई बहनो में देख सीना चौड़ा हो जाता है

कोई नहीं देखता अब नीचे बस आसमान को छूने का जस्बा है

सारी तैयारियों के साथ ज़िन्दगी में आगे बढ़ने का जस्बा है

कुछ भी भूल नहीं पाने की अब कसम खाने कि इच्छा है

बच्चा दिल अब किसी भी मुश्किल से घबराता नहीं है 

जीवन की किताब से हर दिन कुछ सिखने का जस्बा है

हाथ तो छूट गया आपका पर साथ कभी ना छूटेगा सर

हर स्टूडेंट्स में रवीश को नज़र आतें हैं आप  मुडावल सर 
ख्वाबोँ मेँ हकीकत नहीँ मिलती है
किनारे पे कभी ना मोती मिलता है
बैठे हो आसमां तले जमीन पर
हीरा यारोँ उसकी गहराई मेँ मिलता है
हर शाम गुजरती है मयखाने मेँ हमारी
हर शाम ठहरती है इंतजार मेँ तुम्हारी
पीला देतेँ हैँ दोस्त तेरी कसम देकर
साकी तू बन तो कोई बात बने हमारी
जिँदगी को समझने की चाह मेँ अपना नाम तक खो दिया 
पीछे मुड़कर देखा जो हमने अपने वजूद को खुद खो दिया
जिँदगी अब बड़ी आसान सी हो गयी
प्यारा सा एक साथी मिल गया
दिल के दर्द की दवा मिल गयी
आँसू को किसी ने आँचल से पोँछ दिया
दशहरा प्रतीक है असत्य पर सत्य के विजय का पर 

कौन सा सच
और कैसा सच
जुबानी सच
या दिली सच
तेरा सच
या मेरा सच
दुनिया का सच
या अपना सच
इतिहास का सच
या वर्तमान का सच
जब सच की समझ नहीँ
तो
कैसी विजय
किसकी विजय
सोच रहा हुँ
कि
क्या मैँ सच मेँ
सोच रहा हुँ ?
कल इश्क का इम्तहान देकर आये
हर सवाल का जवाब देकर आये
उन आँखोँ को उम्मीद देकर आये
हर सवाल को गले लगाकर आये

चाहत अपनोँ की समझ ना पाये
फिर भी हम दिल को समझा आये
सूरज तो शायद हम बन ना पाये
एक रोशनी पर जरुर जला आये

कल इश्क का इम्तहान देकर आये
रविश
हर सवाल का जवाब देकर आये
आँसू भी आज भ्रमित कर गये
कभी माँ की याद आयी
कभी पिता की
कभी भाई की याद आयी
कभी बहन की
कभी दोस्तोँ की याद आयी
कभी दुश्मनोँ की
कभी महबूब की याद आयी
कभी अपने दर्द की
जिँदगी परायी ये माना
आँसू पराये ये भी माना
फिर भी आज क्यूँ ऐसा लगा
आँसू भी आज भ्रमित कर गये

आँखोँ से पुछ बैठा जिद मेँ
वो भी हम पर हँस पड़ी
बिटिया को सामने लायीँ तो
आँसू भी हँस पड़े मुझ पे
आँसू नहीँ थे भ्रमित कभी भी
हम खुद भ्रमित से हो गये
चलो आज थोड़ा बहक जाएं
सुने दिल को आवाज लगाएं
जीवन खेलती है रोज हमसे
आज थोड़ा हम भी खेल आएं 

YAADON KI GATHREE..............


तरस आता है मुझे उन लोगो पे जो झुठी तरक्की और पैसे के चक्कर मेँ ये भूल जाते हैँ कि उनके हर कारनामेँ के गवाह खुद उनके बच्चे बनते जाते हैँ ।
तरस आता है मुझे उन खून के झुठे रिश्तोँ पे जो अब केवल कीमती तोहफोँ से बहल जाते हैँ ।
तरस आता है मुझे उन लोगो पे जो जिँदगी के जरा से झटके पे बिखर जाते हैँ ।
तरस आता है उन बच्चोँ को दी जा रही शिक्षा पे जो उन्हेँ अन्दर से खोखला और कमजोर बनाते हैँ ।
तरस आता है मुझे अपने परिवार , समाज और दुनिया की झुठी चमक देख के जिसमेँ ना तो कोई गहराई है और ना हीँ ठहराव है ।
बस अब बहुत हुआ अब रहने दो
देख लिया अपनोँ का खून पानी होता
देख लिया अपने प्यार को बेवफा होता
देख लिया भाई भाईओँ को जुदा होता
देख लिया रिश्तोँ को पल मेँ बदला हुआ

अब बस कोई मकसद नहीँ इसके सिवा
रिश्तोँ नातोँ के बरबाद होने के सिवा
अपनी आह को दिल मेँ संजोने के सिवा
.................
लगा दो झरी जनाजोँ की मुझे मौत की नुमाइश देखनी है
खुद को जो मारा अपनो ने उनकी आखिरी ख्वाहिश पुछनी है
म्रत्यु का अब हो तांडव
धरती मेँ हो चाहे भुचाल 
सागर मेँ हो जाए उफान
बस विनाश हीँ विनाश हो

इच्छा अब बस है मेरी
आँखे टिकी हुई है मेरी
मन की हठ भी है मेरी
बस विनाश हीँ विनाश हो

पाप का घड़ा है भरा
रिश्तोँ से अब मन भरा
स्वार्थ से है जग भरा
बस विनाश हीँ विनाश हो
...........