Monday 5 May 2014

जाने क्यूँ तुम्हारा कुछ असर सा लगता है

सुबह पहले जैसी उदास नहीं होती
दिन भर तुम्हारा साया साथ होता है
शाम तुम्हारी याद में गुजर जाती है
रात तुमसे मेरी रूह मिल आती है

जाने क्यूँ तुम्हारा कुछ असर सा लगता है