अजीब नशा है तेरी बातोँ का , ना जगने दे ना सोने दे अजीब बात है तेरे नशे मेँ , शुरु हो पर खत्म ना होने दे
तेरी मेरी बात अधूरी हीँ सही
मुलाकात का बहाना तो बनता है दरिया को मिलना सागर मेँ पर बहने का बहाना मिलता है तू कब से समायी दिल मेँ तुझे खबर भी नहीँ हर धड़कन को जीने का बहाना मिलता है
Thursday 14 November 2013
यादोँ की गठरी
कल बहुत डर सा लगा बैठे थे अकेले मेँ चुप से हिम्मत कर आखिर खोली यादोँ की गठरी चुप से
टूटा हुआ काँच चुभ गया दिल तक को कुरेद गया वो आधी पेँसिल का टुकड़ा मन मेँ छेद करता गया
टिफिन निकला मुस्कुराता वाटर बोतल छलक गया पूरी कमीज गिला गिला कर आत्मा की प्यास बुझा गया
स्कूल बैग था बड़ा उदास आ रही अब भी उसमेँ से पराठे की खुशबू वो खास माँ की याद दिला गया
आलू भुजिये के तेल से सने कापियोँ के फटे पन्ने देख के डर सा लगा सोच कर के होमवर्क अभी थोड़ा रह गया
लाल लाल लहँगे मेँ लाली से बिटिया चुन्नी उड़ाती चंचल सी तेरी बिटिया आँचल मेँ सिमटे तेरी छुईमुई बिटिया भाईया को छेड़ती प्यारी सी बिटिया लक्ष्मी सी लागे मुझे तेरी वो बिटिया
जग करता इंतजार अपनी दिवाली का रोज दिये घर मेँ जलाती वो बिटिया भाईया संग पटाखे चलाती है बिटीया खुशियोँ की फुलझरी फैलाती बिटिया
रोज दीवाली घर मनाती है बिटिया रोज दीवाली घर मनाती है बिटिया
आलस बटोरे अंग अंग मे अँगड़ाई लेती मेरी बाँहोँ मेँ खिड़की से छुपके झाँकती चिड़ियोँ के साथ खेलती ठंडी हवाओँ से जुझती रात की चादर हटाती पलकोँ से बातेँ बनाती गुलाबी होठोँ से चुमती मेरी सुबह तुम मेरी सुबह
हल्की गुलाबी साड़ी हल्की सी मुस्कायी हल्की सी वो चली हल्के से पास आयी
माथे बिँदी भी हल्की हाथ का कँगन हल्का कान मेँ झुमक हल्की गले मेँ हार भी हल्का हल्के से फूल खिला हल्के से पास बैठी हल्के से हाथ छुआ हल्के से शरमायी हल्के से उन्हेँ देखा हल्के से दिल खोया हल्के से प्यार हुआ
मन हल्का कर गयी हल्की गुलाबी साड़ी
जिँदगी तुम तो फिर मौत क्या है मंजिल तुम तो फिर सफर क्या है दर्द तुम तो फिर दवा क्या है शायरी तुम तो फिर ये शायर क्या है
जिँदगी तुम तो फिर मौत क्या है
सुबह की चाय आज खास रही
देश का फैसला हुआ
विकास की बात हुई
बाजार मेँ उछाल हुआ
सोने मेँ गिरावट हुई
कारोँ के माडल लाये गये
मूवी को हिट किया गया
जमीन का भाव हुआ
खेलजगत की बातेँ हुईँ
चाय उबला लोग उबले
चाय छना लोग छने
पी लिया सबको घोल के एक चाय का प्याला
सुबह की चाय आज खास रही
कल की चाय का इंतजार रहेगा
Tuesday 12 November 2013
उदास उतरा उड़ा थका चेहरा मुझे पसंद नहीँ ऐसा मेरा चेहरा जरा मेरे चेहरे का ख्याल करो तुम्हारा चेहरा अब मेरा चेहरा
मैँ रात अमावस का चाँदनी को तरसता चाँद बन आओ तो कोई बात बने आसमान मेँ बादल प्यासा मैँ तड़पता प्यार बरसाओ तो कोई बात बने भटकता भँवर एक खुशबू को तरसता जीवन महकाओ तो कोई बात बने हाथ छूटे सारे तेरे साथ को तरसता जीवन मेँ आओ तो कोई बात बने
जिस मोड़ पे अपना साथ छुटा आज वहाँ गोलचक्कर है चारोँ तरफ इमारतेँ हैँ इमारतोँ मेँ लिफ्ट हैँ सड़केँ भाग रही हैँ तुमसे मिलना बड़ा मुश्किल सा हो गया है सन्नाटा कहीँ खो गया है मेरा चाँद खो गया है
जीवन की क्षणभुँगरता को भूल रिश्तोँ की स्वार्थ भरी दुनिया मेँ एक सच्ची ममता की छाया मेँ आज अपना जन्मदिन मनायेँ पुन: जन्म सा प्रतीत होता ये दिन मन को प्रफुल्लित करता ये दिन अजीब सपनोँ को देखता ये दिन इस अनोखेपन को क्यूँ ना अपनायेँ आज अपना जन्मदिन मनायेँ आत्मा को था आज शरीर मिला मन को था आज मस्तिष्क मिला माँ के आँचल मेँ एक फूल खिला आओ इस पल का जश्न मनायेँ आज अपना जन्मदिन मनायेँ
आत्मा को वचन दिया था कभी जन्म का कर्ज लिया था कभी कर्म को हाथ दिया था कभी सबको याद कर के मनायेँ आज अपना जन्मदिन मनाये
उसने मुझे उस नजर से कभी देखा नहीँ सुने दिल की बस्ती मेँ आग लगते देखा नहीँ वक्त के साथ बुझ गयी आग ये माना हमनेँ धुँआ आज भी उड़ता है पर उसको दिखता नहीँ
यादोँ को भुलने की कोशिश कर रहा हूँ उनके करीब जाने की कोशिश कर रहा हूँ
काश कुछ ऐसा हो जाये सचिन नेता तेरे जैसा हो जाये सचिन हर कोई करता आकड़ो से बात नेताओँ का भी होता कुछ स्कोर कार्ड राजनीति मेँ होती सिर्फ रिकार्ड की बात आऊट होता नेता पर एक नियम के साथ पद मिलता उसे होता उसका फोर्म आधार ना होते वादे ना होती उम्मीद की गुहार हर गेँद का देना पड़ता सिर्फ बल्ले से हिसाब हर घोटाले पर होता बस पगबाधा करार हर अच्छे विकास पर चौके छक्के होते करार गेँद फेँकती जनता नेता होते बल्लेबाज
हकीकत हो तुम अपनी ख्वाब मेँ ना आया करो हम सोते हैँ आँखे खोलकर यूँ सामने ना आया करो डरता हूँ अपने इश्क की रुसवाई से सरेआम कत्ल करके ना जाया करो
तेरे साथ हीँ बहना है सुन दरिया डूबके बस तेरी आँखो मेँ दरिया
पढोगे अच्छे से तो नम्बर अच्छे आऐँगे नम्बर अच्छे आऐ तो नौकरी अच्छी मिलेगी नौकरी अच्छी मिलेगी तो शादी अच्छे घर मेँ होगी बीवी अच्छी तो घर तरक्की करेगा फिर बच्चोँ की परवरिश अच्छी होगी फिर बच्चे अच्छा पढेँगे तो ... मैँ पढ गया और बगल वाले गुप्ता अँकल का लड़का बिगड़ गया अब मेरी salary मेरा bonus मेरा ट्रेन किराया मेरा बिजली बिल मेरे बच्चे की फीस मेरी कार का लोन मेरा चलना बोलना मेरा सोना उठना
सब वो तय करता है मैँ हर पाँच साल पर उसे वोट देता हूँ और वो राज करता है
पढोगे अच्छे से तो नम्बर अच्छे आऐँगे नम्बर अच्छे आऐ तो नौकरी अच्छी मिलेगी नौकरी अच्छी मिलेगी तो शादी अच्छे घर मेँ होगी बीवी अच्छी तो घर तरक्की करेगा फिर बच्चोँ की परवरिश अच्छी होगी फिर बच्चे अच्छा पढेँगे तो ...
छोड़ो अब रहने दो बस बहुत हुआ चाहत रही दिल मेँ बस दर्द हुआ जीवन सुलझ कर बस उलझ गया पाया हुआ प्यार यूँ बस लूट गया
रेत सी जिँदगी को बस पकड़ के चलते रहे जल की बस तलाश मेँ टूटते तारे कई गिर गये आगोश मेँ आशा की डोर टूट गयी आस मेँ
भटकते रहे ईश्वर की हम तलाश मेँ चुनते रहे खुशी काँटो के बाग मेँ छुटती सी लगी साँस अब हाथ से अब भी अड़े हो अपनी उस बात पे
क्या कहूँ जीवन से बस पूछ गया पाया हुआ प्यार यूँ बस लूट गया
निलाम हो गयी पूजा की थाली राम नाम का अब क्या सोचूँ घर मेँ दाल बनती नहीँ मंदिर मेँ दान का क्या सोचूँ बिजली सुबह से आयी नहीँ दिया दिखाना क्या सोचूँ बच्चोँ को पढा पाते नहीँ भजनोँ का मैँ क्या सोचूँ
कौन कर रहा ये सब समझ मेँ ना आता है पाँच साल बीत जाते है आशा मेँ फिर से रावण मेरे राम की तस्वीर लिए मेरे दरवाजे आता है
भैया दूज
फूल हीँ फूल तेरे जीवन मेँ भईया काँटे सारे मुझे स्वीकार रे भईया मईया का है तू दुलारा ऐ भईया तेरी दुलारी तेरी बहना है भईया
तुझसे सबको लगी आस रे भईया रुठ ना जाना कभी मुझ से भईया हमारी रक्षा हमेशा करना रे भईया निराश अगर मुझे याद करना ऐ भईया
रुकने की तबीयत मत रखो बस बहते हीँ जाओ यारोँ सूरज जो पड़ जाये फीका मन का दीप जलाओ यारोँ क्यूँ रखते हो आस किसी से जीवन मेँ आस जगाओ यारोँ माना कि अपनोँ ने छोड़ दिया खुदी का साथ निभाओ यारोँ
जल को जो है मिलता पत्थर पर काट काट वो बहता है काँटो के बीच रहता गुलाब खिल खिल के हीँ वो रहता है क्यूँ कैद हो इस जीवन मेँ आजादी अपनी मनाओँ यारोँ रुकने की तबीयत मत रखो बस बहते हीँ जाओ यारोँ
बस आँख लग गयी साहेब कहाँ छोड़ के आऊँ साहेब मीटर चेक कर लो साहेब नाम मेँ क्या रखा साहेब उम्र बस सत्तर है साहेब बेटे अब पुछते नहीँ साहेब आटो मुझसा पुराना साहेब लो आ गया मार्केट साहेब पचास रुपये हो गये साहेब आँखे क्यूँ भर आयी साहेब मैँ पुराना हो गया साहेब बस आँख लग गयी साहेब
तेरी मेरी बात अधूरी हीँ सही मुलाकात का बहाना तो मिलता है दरिया तो मिलता सागर मेँ पर बहने का बहाना मिलता है तू कब से समायी दिल मेँ तुझे खबर भी नहीँ हर धड़कन को जीने का बहाना मिलता है
कुछ बात अधुरी जो रह गयी , वो ख्वाब मेँ हीँ पूरे हुये यूँ दुआ कबूल हुयी अपनी , हम नीँद मेँ भी खोये रहे