रविश चंद्र "भारद्वाज"
Thursday 2 January 2014
दो बात सोचकर दिल को कहा कि मोहब्बत मना है
इकरार कर या इनकार हो तेरा जिँदगी बदलनी हीँ है
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment