Tuesday 25 February 2014

जिन्हें  हम  ढूंढते  थे  दर  बदर ,

नज़दीक  वो  निकले  इस  कदर ,

जन्मों  की  प्यास  मिट  गयी 

शिकायत , रुस्वाईंयां  , सब  अलोप  हो  गयी 

 

ज़माने  ने  हमें  जो  भी  दिए  जखम 

पलक  झपकते  ही  मिट  गए  अब  सभी  गम ,

 

कोशिश  तो  उन्होंने  बहुत  की 

हमारी  हस्ती  मिट  जाये 

बरबादियों  के  द्वार  तक  इस  कदर 

हम पहुँच  जाये 

 

माफ़  करना  उनकी  यह  ख्वाशियें  ने  पूरी  कर  सके 

हम  फिर  ज़िंदगी के  लिए   उठे ,  लड़े  और  चल  दिए 

 

सच्ची  मोहब्बत  का  एहसास  तब  तलक  न  हुआ 

जब  तलक  आपने  हमारे  रूह  को  न  छुआ 

उस  एक  एहसास  से  नए  जीवन  का  संचार  हुआ 

जीने  के  वजह  मिली  मन  में  रवि  का  प्रकाश  हुआ 

 

अब  तो  यह  अलाम  है , कि  साथ  रहे  न  रहे 

पर  हम  दोनों  को  जुदा  कोई ना   कर  पाये 

क्योंकि , 

तुम  में  मैं  हूँ  और  मुझमें  तुम  हो
तुम  में  मैं  हूँ  और  मुझमें  तुम  हो

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