Friday 25 April 2014

मुमकिन है मैं शायद तेरा ना हो पाउँगा
मुमकिन है तुम संग गीत ना गा पाउँगा 
बहुत मुश्किल लगती है मोहब्बत की राह
लगता है मुझे , मैं तुझमें हीं समा जाऊंगा 

तुझको कोई सहारा शायद ना दे पाउँगा
दुनिया की हर रश्मों को ना निभा पाउँगा 
बहुत मुश्किल लगता है अपना मिलना 
लगता है मुझे , मैं तुझमें हीं मिल जाऊंगा 

....................रविश चंद्र "भारद्वाज"

No comments:

Post a Comment