Wednesday 5 February 2014

देखा था रात तारोँ को आसमाँ को सजाते हुये

अपना चाँद भी सज रहा था शरमाते हुये


सुबह का सूरज दिखा आज अलसाते हुये


चाँद सीमटा बाँहोँ मेँ मेरे हमेँ निहारते हुये

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