देखा था रात तारोँ को आसमाँ को सजाते हुये
अपना चाँद भी सज रहा था शरमाते हुये
सुबह का सूरज दिखा आज अलसाते हुये
चाँद सीमटा बाँहोँ मेँ मेरे हमेँ निहारते हुये
अपना चाँद भी सज रहा था शरमाते हुये
सुबह का सूरज दिखा आज अलसाते हुये
चाँद सीमटा बाँहोँ मेँ मेरे हमेँ निहारते हुये
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