क्यूँ करती हो खुद को हीँ सजने से मना
जब तुझको सँवारना चाहता है तेरा सजना
क्यूँ करती हो खुद हीँ दिल को मना
जब तुझको चाहना चाहता है तेरा सजना
जब तुझको सँवारना चाहता है तेरा सजना
क्यूँ करती हो खुद हीँ दिल को मना
जब तुझको चाहना चाहता है तेरा सजना
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