रविश चंद्र "भारद्वाज"
Wednesday 14 May 2014
वो सो गये बिना कुछ कहे हमसे
अधूरी बात जाने कब करेँगेँ हमसे
देखेँगे सपने दूर जाकर जरा हमसे
मिलेँगे रंगोँ से भरे शायद कल हमसे
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