धीरे धीरे उसने मेरे जीने के अंदाज़ बदल दिए
दोस्त थे चंद अपने वो भी कहीं जाने खो गए
जाने कितने बदलाव आये और बस चले गए
हम जहाँ से चले थे वहीँ के होकर बस रह गए
अजीब सी चाहत थी दुनिया को जीत जाने की
शायद हर जीत को वो मेरी हार बना चल दिए
अब चाहत ना रही है मुझे कुछ और पाने की
बेवजह सीने में दिल बस दहकता रहता है
बस प्यास लगती है बड़ी जोरों की आत्मा को
पूछता हूँ जब भी अपनी बर्बादी की वजह
कोई साया सा अपना दिख जाता है आँखों को
बस कह देता हूँ यूँ हीं की तुझसे बड़ा प्यार है
और प्यास बुझ जाती है मेरे आत्मा की यूँ
तुझसे मिलना है मुझे अकेले में किसी दिन
अपने खुदा को गवाह बना के आखिरी बार
शायद तुम हीं तो वो नहीं जो मेरा अपना है
दोस्त थे चंद अपने वो भी कहीं जाने खो गए
जाने कितने बदलाव आये और बस चले गए
हम जहाँ से चले थे वहीँ के होकर बस रह गए
अजीब सी चाहत थी दुनिया को जीत जाने की
शायद हर जीत को वो मेरी हार बना चल दिए
अब चाहत ना रही है मुझे कुछ और पाने की
बेवजह सीने में दिल बस दहकता रहता है
बस प्यास लगती है बड़ी जोरों की आत्मा को
पूछता हूँ जब भी अपनी बर्बादी की वजह
कोई साया सा अपना दिख जाता है आँखों को
बस कह देता हूँ यूँ हीं की तुझसे बड़ा प्यार है
और प्यास बुझ जाती है मेरे आत्मा की यूँ
तुझसे मिलना है मुझे अकेले में किसी दिन
अपने खुदा को गवाह बना के आखिरी बार
शायद तुम हीं तो वो नहीं जो मेरा अपना है
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