प्यार का दीप हर दिल मेँ जले तो क्या बात हो
कोई ना तड़पता दिल हो यहाँ तो क्या बात हो
कहते हैँ आशिक कि हम हुस्न भी फिदा हैँ यारोँ
पैमाना ए नशा हर आँख से छलके तो क्या बात हो
कद्र सबके हक की हो यहाँ तो क्या बात हो
रोटी सबको बराबर मिले तो क्या बात हो
नीँद नहीँ आती जब मोहब्बत करते हैँ लोग
सबको इश्क का रोग लगे यहाँ तो क्या बात हो
कोई ना तड़पता दिल हो यहाँ तो क्या बात हो
कहते हैँ आशिक कि हम हुस्न भी फिदा हैँ यारोँ
पैमाना ए नशा हर आँख से छलके तो क्या बात हो
कद्र सबके हक की हो यहाँ तो क्या बात हो
रोटी सबको बराबर मिले तो क्या बात हो
नीँद नहीँ आती जब मोहब्बत करते हैँ लोग
सबको इश्क का रोग लगे यहाँ तो क्या बात हो
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