तेरी यादोँ को समेटे आज सदियाँ गुजर गयीँ
तेरी बातोँ को सुने आज घड़ियाँ गुजर गयीँ
एक आहट सी सुनी जो मेरी रुह नेँ अकेले मेँ
मेरे सामने से बचपन की वो गलियाँ गुजर गयीँ
तेरी बातोँ को सुने आज घड़ियाँ गुजर गयीँ
एक आहट सी सुनी जो मेरी रुह नेँ अकेले मेँ
मेरे सामने से बचपन की वो गलियाँ गुजर गयीँ
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