Friday 22 November 2013

जी गये हैँ तेरी एक झलक पाकर
मर जायेँगे यकीनन तुझको पाकर
बादल कब बन बरसे तुम
भीग गया कब ये दिल मेरा
तपते जीवन की प्यास बुझी
ठंडक तुम्हारी कब होँठो की पाकर
जी गये हैँ तेरी एक झलक पाकर
मर जायेँगे यकीनन तुझको पाकर

छोड़ चले सब अपने राहोँ मेँ
खोता गया मैँ खुद राहोँ मेँ
बाँहेँ थामी तुम्हारी बाँहोँ ने
खो गये हम तुम्हारा साथ पाकर

जी गये हैँ तेरी एक झलक पाकर
मर जायेँगे यकीनन तुझको पाकर

No comments:

Post a Comment