जी गये हैँ तेरी एक झलक पाकर
मर जायेँगे यकीनन तुझको पाकर
बादल कब बन बरसे तुम
भीग गया कब ये दिल मेरा
तपते जीवन की प्यास बुझी
ठंडक तुम्हारी कब होँठो की पाकर
जी गये हैँ तेरी एक झलक पाकर
मर जायेँगे यकीनन तुझको पाकर
छोड़ चले सब अपने राहोँ मेँ
खोता गया मैँ खुद राहोँ मेँ
बाँहेँ थामी तुम्हारी बाँहोँ ने
खो गये हम तुम्हारा साथ पाकर
जी गये हैँ तेरी एक झलक पाकर
मर जायेँगे यकीनन तुझको पाकर
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