Monday 18 November 2013

हर रंग जमाने का देखा बचपन का रंग सुहाना था
टूटते थे खिलौने हाथोँ मेँ हमारा प्यार पर दीवाना था
मनमानी कर जाते अपनी पर नाराज ना दोस्ताना था
भुलने का डर नहीँ था हमेँ बस यादोँ का फसाना था
चलती थी बस अपनी ना कि किसी का चलाना था
रुठ कर खुद हीँ मन जाते वो ऐसा हमारा जमाना था
एक जमाना ऐसा प्यारा बचपन अपना जमाना था

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