आँख दी तुने खुदा तो ये भी रोतीँ हैँ
जिँदा हूँ इसलिये दर्द भी होता है
मोहब्बत दी तो तबाही भी होती है
चेहरा ना दिखे उनका तो दिल भी तड़पता है
सब अपने फर्ज बखूबी अदा कर रहेँ हैँ
फिर भी खुदा तू ना जाने क्यूँ रुठा है
जिँदा हूँ इसलिये दर्द भी होता है
मोहब्बत दी तो तबाही भी होती है
चेहरा ना दिखे उनका तो दिल भी तड़पता है
सब अपने फर्ज बखूबी अदा कर रहेँ हैँ
फिर भी खुदा तू ना जाने क्यूँ रुठा है
No comments:
Post a Comment