चाहत कुछ ऐसी है खुदा कि
किसी दोस्त का ना साथ छुटे
ना कोई दुश्मन गम मेँ डूबे
छोटी सी जिँदगी अपनी है
कर्जोँ मेँ डूबी हुई
हर किसी को फर्ज निभाने का हक मिले
किसी दोस्त का ना साथ छुटे
ना कोई दुश्मन गम मेँ डूबे
छोटी सी जिँदगी अपनी है
कर्जोँ मेँ डूबी हुई
हर किसी को फर्ज निभाने का हक मिले
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