Sunday 8 December 2013

काली अँधेरी रात
बहुत दूर जाना है
मंजिल बहुत दूर
पर चलते जाना है
हाथ रखना थामे
दिल धड़कता रहे
साँसोँ का सहारा
देखो छुटने ना पाये
मंजिल मिल जाएगी
खुशियाँ लौट आएगी
कलियाँ मुसकाएगी
बहारेँ फिर आएगी
बिखरी जिँदगी को
थोड़ा सजाना है
मंजिल बहुत दूर
पर चलते जाना है

No comments:

Post a Comment