विक्षिप्त सा वो मेरा आकाश
निराश रोते मेरे वो तारे
मुरझा गया वो मेरा चाँद
खो गयी वो तेरी मेरी रात
सुबह का सूरज भी बेचैन
किरणेँ गिरती धरती पर
छाये खोते बाग के पेँड़
जलती झुलसती ये धरती
शायद कुछ बात है
छुटता कोई हाथ है
निराश रोते मेरे वो तारे
मुरझा गया वो मेरा चाँद
खो गयी वो तेरी मेरी रात
सुबह का सूरज भी बेचैन
किरणेँ गिरती धरती पर
छाये खोते बाग के पेँड़
जलती झुलसती ये धरती
शायद कुछ बात है
छुटता कोई हाथ है
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