Friday 6 December 2013

तुम्हारे दिये दुख को तकिये के नीचे रख सोता हूँ

आँसूओँ से चादर को भीगो कर के ओढ सोता हूँ


साँसोँ को पंखे से लटका कर के सोता हूँ


अपनी सुबह जाने कब आएगी 


दुख का कर्ज चुकाने के सपनोँ के साथ सोता हूँ

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