रविश चंद्र "भारद्वाज"
Monday 2 December 2013
बयान क्या करे दिल में छिपे गम का
खुद भी परेशान अपना हमसे हो गया
सोच इश्क़ में टूट कर शायद में रोऊँ
यहाँ हर दिन बंदा जवान होता गया
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment