Thursday 5 December 2013

चलो कुछ नया करेँ

चलो कुछ नया करेँ

हिमालय वहीँ है

सागर भी वहीँ

गाँव भी वहीँ है

गलियाँ भी वहीँ

चलो सबसे मिलेँ

चलो कुछ नया करेँ

देश की भी पुकार है


क्राँति की दरकार है


बदलने को तैयार है


गीता फिर से पढेँ


चलो कुछ नया करेँ


चलो कुछ नया करेँ


कायदा भी वही है

कानून भी वही


बेटी भी वही है


बलि भी वही


समाज भी वही है


रिश्ते भी वही


रोटी भी वही है


भूख भी वही


चलो कुछ पहल करेँ


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