कुछ इस कदर उलझे लोग जिँदगी की कश्मकश मेँ
याद नहीँ कब मोहब्बत हुई कब ठुकराये गये
पहले प्यार की क्या दुहाई देते हो इस जहान को
कुछ लोग यहाँ आखिरी मेँ भी जब ठुकराये गये
याद नहीँ कब मोहब्बत हुई कब ठुकराये गये
पहले प्यार की क्या दुहाई देते हो इस जहान को
कुछ लोग यहाँ आखिरी मेँ भी जब ठुकराये गये
No comments:
Post a Comment