रविश चंद्र "भारद्वाज"
Friday 14 March 2014
जुदा जुदा तेरी मेरी राहें हीं सही
इंतज़ार तो तुम्हें भी होगा ना
अपनी मंजिल का ?
तो आ जाना किसी दिन मेरे साथ
बैठ जाना मेरे संग साँसों की गाडी में
चल पड़ेंगे तेरी मंजिल की ओर
अपनी मंजिल मान के ....................
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