जीवन एक दौड़
जीवन बन गयी है एक दौड़
दौड़ सुबह से शाम तक और शाम से रात तक की दौड़
बस दौडम दौड़
वो भी दौड़ रहा है , हम भी दौड़ रहे हैं
मैं भी शामिल दौड़ में
बस दौडम दौड़
जनमे ही क्योँ ?
शामिल क्योँ इस दौड़ में ?
खड़ा क्योँ में इस दौड़ में ?
मंज़िल का भी क्यूँ पता नहीं ?
बस क्यूँ है यह दौडम दौड़ .
थोड़ा रुक ,ठहर ,साँस ले
अपनों से मिल ,उनके जीवन की भी जान ले
कुछ उनकी सुन कुछ अपनी सुना
घडी भर रुक आँख तो मिला ,
तू किसी से डर के तो नहीं भाग रहा ?
कोई नहीं है तेरा इस भीड़ में , तो किसे तू खोज रहा ?
कही तू …सब से आगे निकलने के लिए तो नहीं दौड़ रहा ?
इस भीड़ में अपनों के पदचिन्हों को तो नहीं टटोल रहा ?
थोड़ा रुक ,ठहर ,सांस ले
पीछे मुड़ के तो जांच ले
क्या पाया क्या छूटा इस दौड़ में
घर की शांति कहाँ है ?
बच्चों का बचपन कहाँ है ?
प्रिय प्रियसी का प्यार कहाँ है ?
माँ की लोरी कहाँ है ?
पापा की छड़ी के वो मर कहाँ है ?
और फिर टॉफ़ी की वो घुस कहाँ है
कसमें तो हर मोड़ पर खाई थी तूने
बेटा बन फ़र्ज़ निभाउंगा
प्यार पर मिट जाऊंगा
बच्चों की किलकारियों पर वारी जाऊंगा
दोस्ती को न भूल पाउँगा
जमाने में नाम कमाऊँगा
बस .... सब भूल गया
हर एक फ़र्ज़ भूल गया
और शामिल हो गया इस दौड़ में
थोड़ा रुक ,ठहर ,सांस ले
सपनो के बिखरे पन्नो को उठा
कागज़ ही सही पर फिर से
अपनों के लिए एक जगह सजा
इस दौड़ को कुछ विराम दे ,
अपनों से मिल
कुछ उनकी सुन
कुछ अपनी सुना
जीवन बन गयी है एक दौड़
दौड़ सुबह से शाम तक और शाम से रात तक की दौड़
बस दौडम दौड़
वो भी दौड़ रहा है , हम भी दौड़ रहे हैं
मैं भी शामिल दौड़ में
बस दौडम दौड़
जनमे ही क्योँ ?
शामिल क्योँ इस दौड़ में ?
खड़ा क्योँ में इस दौड़ में ?
मंज़िल का भी क्यूँ पता नहीं ?
बस क्यूँ है यह दौडम दौड़ .
थोड़ा रुक ,ठहर ,साँस ले
अपनों से मिल ,उनके जीवन की भी जान ले
कुछ उनकी सुन कुछ अपनी सुना
घडी भर रुक आँख तो मिला ,
तू किसी से डर के तो नहीं भाग रहा ?
कोई नहीं है तेरा इस भीड़ में , तो किसे तू खोज रहा ?
कही तू …सब से आगे निकलने के लिए तो नहीं दौड़ रहा ?
इस भीड़ में अपनों के पदचिन्हों को तो नहीं टटोल रहा ?
थोड़ा रुक ,ठहर ,सांस ले
पीछे मुड़ के तो जांच ले
क्या पाया क्या छूटा इस दौड़ में
घर की शांति कहाँ है ?
बच्चों का बचपन कहाँ है ?
प्रिय प्रियसी का प्यार कहाँ है ?
माँ की लोरी कहाँ है ?
पापा की छड़ी के वो मर कहाँ है ?
और फिर टॉफ़ी की वो घुस कहाँ है
कसमें तो हर मोड़ पर खाई थी तूने
बेटा बन फ़र्ज़ निभाउंगा
प्यार पर मिट जाऊंगा
बच्चों की किलकारियों पर वारी जाऊंगा
दोस्ती को न भूल पाउँगा
जमाने में नाम कमाऊँगा
बस .... सब भूल गया
हर एक फ़र्ज़ भूल गया
और शामिल हो गया इस दौड़ में
थोड़ा रुक ,ठहर ,सांस ले
सपनो के बिखरे पन्नो को उठा
कागज़ ही सही पर फिर से
अपनों के लिए एक जगह सजा
इस दौड़ को कुछ विराम दे ,
अपनों से मिल
कुछ उनकी सुन
कुछ अपनी सुना
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