रविश चंद्र "भारद्वाज"
Tuesday 29 October 2013
ढूँढते थे कभी जिनसे हम मिलने के बहाने,
ढूँढ रहे आज वो दूर चले जाने के बहाने
जीने की कोई चाह बची नहीँ अब यारोँ,
धड़कना सिख लिया दिल ने
धड़कने के बहाने
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