Tuesday 29 October 2013


सब काट रहेँ हैँ


कोई आलू काट रहा है

कोई प्याज काट रहा है

कोई टमाटर काट रहा है



कहीँ अफसर काट रहे हैँ

कहीँ मुलाजिम काट रहे हैँ

कहीँ दुकानदार काट रहे हैँ



कभी नेताजी काट रहे हैँ

कभी बेटाजी काट रहे हैँ

कभी पापाजी काट रहे हैँ

कभी रिश्ते काट रहे हैँ

कभी अजनबी काट रहे हैँ

कभी जाननेवाले काट रहे हैँ

कोई समय को काट रहा है

कोई वोट को काट रहा है

कोई देश को काट रहा है

सब काट रहे हैँ 

सब काट रहे हैँ