जिँदगी की कश्मकश मेँ वक्त भी यूँ हमारा हो ना सका
कुछ देखा ख्वाब ऐसा जो यूँ बस पूरा हो ना सका
शिकवा क्यूँ करेँ अपनोँ से जब साँस भी है उधार की
पत्थरोँ के बाजार मेँ अपना दिल भी यारोँ बिक ना सका
कुछ देखा ख्वाब ऐसा जो यूँ बस पूरा हो ना सका
शिकवा क्यूँ करेँ अपनोँ से जब साँस भी है उधार की
पत्थरोँ के बाजार मेँ अपना दिल भी यारोँ बिक ना सका
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