रविश चंद्र "भारद्वाज"
Thursday 31 October 2013
शौक नहीँ मुझे पीने का फिर भी पिलाये जाती हो
पीता हूँ मैँ पर तुम क्यूँ होश गवायेँ जाती हो
Newer Post
Older Post
Home