रविश चंद्र "भारद्वाज"
Friday 15 November 2013
अजीब नशा है तेरी बातोँ का , ना जगने दे ना सोने दे
अजीब बात है तेरे नशे मेँ , शुरु हो पर खत्म ना होने दे
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