रविश चंद्र "भारद्वाज"
Tuesday 24 December 2013
ख्वाब को पनाह मिली अश्कोँ मेँ
रात तेरे दहलीज पर रोते रहे
आँखे ना खुलती हैँ नादान दिल
तेरी रुह ने पनाह ली अश्कोँ मेँ
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