Saturday 28 December 2013

चलो आज अपनी मोहब्बत को घर के 

एक कोने मेँ पड़े आलमारी मेँ बंद कर आयेँ 


तुमने जो तड़पने से मना किया है 


तुम्हारी बात को कैसे नकार जायेँ


बस एक गुजारिश है तुमसे ये मोहब्बत


चाभी मेरे पास हीँ रहने देना आलमारी की


क्या पता हम पहले की तरह तड़प जायेँ

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