चलो आज अपनी मोहब्बत को घर के
एक कोने मेँ पड़े आलमारी मेँ बंद कर आयेँ
तुमने जो तड़पने से मना किया है
तुम्हारी बात को कैसे नकार जायेँ
बस एक गुजारिश है तुमसे ये मोहब्बत
चाभी मेरे पास हीँ रहने देना आलमारी की
क्या पता हम पहले की तरह तड़प जायेँ
एक कोने मेँ पड़े आलमारी मेँ बंद कर आयेँ
तुमने जो तड़पने से मना किया है
तुम्हारी बात को कैसे नकार जायेँ
बस एक गुजारिश है तुमसे ये मोहब्बत
चाभी मेरे पास हीँ रहने देना आलमारी की
क्या पता हम पहले की तरह तड़प जायेँ
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