Monday 14 July 2014

हर शाम गुजर जाती अधूरी मेरी
हर सुबह में अधूरापन रहता है
क्या करूं दिन और रात की बात 
हर सांस में अधूरापन रहता है

हर मंजिल है आज अधूरी मेरी
हर राह में अधूरापन रहता है
कितने भी पास चले आऊँ तुम्हारे
मिलने में अधूरापन रहता है 

हर कविता है आज अधूरी मेरी
हर बात में अधूरापन रहता है
कितनी भी मेरी अच्छी किस्मत
हर ख़ुशी में अधूरापन रहता है

हर शाम गुजर जाती अधूरी मेरी
हर सुबह में अधूरापन रहता है

-------- रविश चन्द्र "भारद्वाज"

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