Monday 14 July 2014

आज एक बार फिर गाँव की याद आ गयी 
घूँघट मेँ पिया की गोरी शरमा गयी
गली मेँ रोटी की वो खूशबु आ गयी
कुँऐ की ठंडी नीर प्यास बुझा गयी
चाचा की पतंग हवा मेँ डोल गयी
दादी नानी की कहानी याद आ गयी
दादाजी के डंडे से गौमाता घबरा गयी
सबको इंतजार था बरसोँ से प्यार का
बहूरानी बिटिया बन घर पे आ गयी

No comments:

Post a Comment