Tuesday 15 July 2014

तुमसे कही थी एक बात कल


दिल की बतायी थी बात कल


तुम शरमायी थी सुन बात कल


मेरी कविता मेँ आयी बात कल


लिख डाली थी कसम बात कल


बातोँ बातोँ मेँ हुयी थी बात कल


फैसले की वो घड़ी रात कल


चुपचाप तुम्हारी वो बात कल


कानोँ मेँ मेरे पड़ी थी बात कल


साथ जीने हँसने की बात कल


आज तुम हमारे हो वो बात कल

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