सारा गुस्सा यूँ निकला सनम का कि आजतक गुमसुम हीँ बैठेँ हैँ
आज गुजर गये मुस्कुरा कर गली से तब समझ आया कहाँ बैठे हैँ
एक प्यार भरी निगाह जो आज पड़ी उनकी मुझ गरीब पे तो लगा दिल को
हम उनकी हीँ गली मेँ अपना ताजमहल बना कर चैन से बैठे हैँ
आज गुजर गये मुस्कुरा कर गली से तब समझ आया कहाँ बैठे हैँ
एक प्यार भरी निगाह जो आज पड़ी उनकी मुझ गरीब पे तो लगा दिल को
हम उनकी हीँ गली मेँ अपना ताजमहल बना कर चैन से बैठे हैँ
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