Monday 14 July 2014

सारा गुस्सा यूँ निकला सनम का कि आजतक गुमसुम हीँ बैठेँ हैँ
आज गुजर गये मुस्कुरा कर गली से तब समझ आया कहाँ बैठे हैँ
एक प्यार भरी निगाह जो आज पड़ी उनकी मुझ गरीब पे तो लगा दिल को 
हम उनकी हीँ गली मेँ अपना ताजमहल बना कर चैन से बैठे हैँ

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