बरसात की वो पहली बौछार
तपिश से झूलसा मेरा मन
आज जाने फिर क्यूँ मचल गया
पिया की याद आयी और मन खिल गया
शायद इस मन को तेरी हीँ तालाश थी
बस किसी बहाने हँस गया
तुम कहाँ चले गये थे बादलोँ मेँ छिप
आज अकेला मन तेरी प्यार की ठंडक मेँ ठिठूर गया
बूँदोँ का तो बस बहाना था
तेरे नम होठोँ को छू रविश
तुममेँ पिघल गया
तपिश से झूलसा मेरा मन
आज जाने फिर क्यूँ मचल गया
पिया की याद आयी और मन खिल गया
शायद इस मन को तेरी हीँ तालाश थी
बस किसी बहाने हँस गया
तुम कहाँ चले गये थे बादलोँ मेँ छिप
आज अकेला मन तेरी प्यार की ठंडक मेँ ठिठूर गया
बूँदोँ का तो बस बहाना था
तेरे नम होठोँ को छू रविश
तुममेँ पिघल गया
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