Monday 14 July 2014

बरसात की वो पहली बौछार 
तपिश से झूलसा मेरा मन 
आज जाने फिर क्यूँ मचल गया 
पिया की याद आयी और मन खिल गया 
शायद इस मन को तेरी हीँ तालाश थी 
बस किसी बहाने हँस गया 
तुम कहाँ चले गये थे बादलोँ मेँ छिप 
आज अकेला मन तेरी प्यार की ठंडक मेँ ठिठूर गया 
बूँदोँ का तो बस बहाना था 
तेरे नम होठोँ को छू रविश 
तुममेँ पिघल गया

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