कैसे हो जाऊँ एक पल भी तुमसे खफा ?
तुम तो मेरी हर नवजीवन का प्रकाश हो ।
जब भी मुझे अँधेरे ने घेरा है , तुम्हारी रोशनी ने मुझे रास्ता दिखाया है ।
आज जो मैँ थोड़ा प्रकाशमान हूँ उसका सूर्य तो तुम्हीँ हो प्रिय ।
मेरे मन मेँ उठी मेरी आशा की किरण तुम हीँ हो ।
मेरे हर जीवन का आधार तुम हीँ हो ।
जग चाहे जो समझे मेरी हर धड़कन का अटूट हिस्सा तुम हीँ हो ।
कभी टूट जाऊँ तो समझ लेना कि मैँ नहीँ टूटा बल्कि तुम्हारी रोशनी थोड़ी कम हो गयी है ।
फिर माँग लेना मुझसे थोड़ी सी वो तुम्हारी रोशनी हाथोँ को फैलाये ।
आ जाऊँगा अपनी रोशनी के पास थोड़ा जीने तुम्हारे दिल मेँ ।
तुम तो मेरी हर नवजीवन का प्रकाश हो ।
जब भी मुझे अँधेरे ने घेरा है , तुम्हारी रोशनी ने मुझे रास्ता दिखाया है ।
आज जो मैँ थोड़ा प्रकाशमान हूँ उसका सूर्य तो तुम्हीँ हो प्रिय ।
मेरे मन मेँ उठी मेरी आशा की किरण तुम हीँ हो ।
मेरे हर जीवन का आधार तुम हीँ हो ।
जग चाहे जो समझे मेरी हर धड़कन का अटूट हिस्सा तुम हीँ हो ।
कभी टूट जाऊँ तो समझ लेना कि मैँ नहीँ टूटा बल्कि तुम्हारी रोशनी थोड़ी कम हो गयी है ।
फिर माँग लेना मुझसे थोड़ी सी वो तुम्हारी रोशनी हाथोँ को फैलाये ।
आ जाऊँगा अपनी रोशनी के पास थोड़ा जीने तुम्हारे दिल मेँ ।
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