Monday 7 April 2014

ये कैसी आवाज पड़ी कानोँ मेँ आज
सबकुछ थम सा गया सामने आज
सोच ना पाया मैँ क्या हुआ आज
आत्मा भी साथ छोड़ गयी आज
आये थे तुम मुझे विदा करने आज
मैँ यूँ चल पड़ा तुम्हारे साथ आज
कविता मेरी अब पूरी हो गयी आज
तुमने जो पकड़ा मेरा हाथ आज
चलता रहा कब से तेरे मैँ साथ
अकेली तुम नहीँ अब हो मेरे साथ 
मैँ तुम और तुम मैँ हो गये आज
रविश का मन जाने कहाँ आज
मैँ तुम और तुम मैँ हो गये आज
रविश का मन जाने कहाँ आज

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