Monday 7 April 2014

तेरी तस्वीर देख कर बस ख्यालों में डूब जाता हूँ 
तुम्हारी हर प्यारी बात को बस याद कर जाता हूँ 
तुम्हारी हर शिकायत पे मन हीं मन हँस जाता हूँ 
बड़े प्यार से उस तस्वीर को अपना बनाये जाता हूँ 

जब आते हो सामने मेरी आँखों के बिना कुछ बताये 
जाने क्यूँ तेरी उसी तस्वीर को कहाँ छिपाये जाता हूँ 
करते हो शिकायत कि मैं याद नहीं करता क्यूँ भला
हाथों में छिपाये तेरी तस्वीर को बस मुस्कुरा जाता हूँ

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