रविश चंद्र "भारद्वाज"
Monday 7 April 2014
सबकुछ लुटने के बाद पुछते हैँ हाल क्या है
चुप बैठना भी हमारा उनको गँवारा नहीँ
एक दिल दिया उनको प्यार करने वास्ते
उसका धड़कना भी उनको गँवारा नहीँ
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment