Tuesday 26 November 2013

क्या शहर बनाया तूने सुन खुदा के बंदे

कुत्तोँ को भी यहाँ पनाह नहीँ मिलती 


हर पल कुचला जाता यहाँ एक कुत्ता


गाड़ियोँ की भीड़ से घबराया हर कुत्ता


तेरे घर के सीढियोँ मेँ छिपा हर कुत्ता


पार्क जाकर राहत की साँस लेता कुत्ता


कुचला गया मेरे पैरोँ तले एक कुत्ता


किस्मत अपनी जगा गया वो एक कुत्ता

मैँने गाड़ी मेँ बैठाया डरा सा वो कुत्ता


अब मेरे घर पर रहता है वो कुत्ता


दूध बिस्कुट खाता रोज है वो कुत्ता


ठाठ से मेरे संग टीवी देखता कुत्ता


सोचता हूँ देख के वो मेरा पालतू कत्ता


आँखो से वही सवाल पुछता वो कुत्ता....



क्या शहर बनाया तूने सुन खुदा के बंदे


कुत्तोँ को भी यहाँ पनाह नहीँ मिलती 

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