Monday 25 November 2013

सारा जमाना सो जाता है 
पर तुम क्यूँ नहीं सोते
जन्मो से देख रही इन 
पलकों को बिना झपके
माँ की लोरी तुम्हे सुलाती थी 
जब तुम नींद के लिए रोते
जवानी में फिर क्या हुआ 
कभी देखा नहीं सोते

जिसने स्वाभिमान को कुचला वो भी हैं सोते
जिसने प्यार में धोखा दिया वो भी हैं सोते
जिसने तुम पर ऊँगली उठाई वो भी हैं सोते
जिसने तुम्हारी पहचान चुराई वो भी हैं सोते

फिर क्यूँ हो सिर्फ तुम जागते
बैचैन हैरान थोडा परेशान होते 
आओ तुम्हे नींद के आगोश में भर दूँ 
आखें तुम्हारी थक गयी हैं 
उन्हें थोडा आराम कर दूँ 
गोद में मेरे सर रख कर 
जब तुम पलकों को झुकाओगे
सदियों कि नींद कि प्यास से राहत पाओगे

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